राजस्थान की प्रमुख झीलें ( Part-2 )
Major lakes of Rajasthan ( राजस्थान की प्रमुख झीलें )
Part = 2
राज्य की झीलों को दो भागों में बाँटा जा सकता है-
राज्य की खारी झीलों को ‘टेथिस सागर’ का अवशेष माना जाता है।
2. मीठे पानी की झीलें।
जयसमन्द झील (उदयपुर)
- उदयपुर से 51 किमी. द.पू. में स्थित इस झील का निर्माण मेवाड़ के महाराणा जयसिंह द्वारा 1685 ई. में गोमती नदी पर बांध बनाकर करवाया गया था।
- जयसमन्द विश्व की मीठे पानी की दूसरी सबसे बड़ी कृत्रिम झील है, जिसे स्थानीय लोग ‘ढेबर झील’ के नाम से जानते हैं। यह झील 15 किलोमीटर लम्बी तथा 8 किलोमीटर चौड़ी है।
- वर्षाकाल में इस झील का कुल क्षेत्रफल लगभग 500 वर्ग किमी. हो जाता है।
- झील में कुल सात टापू हैं, जहाँ भील एवं मीणा जनजाति के लोग निवास करते हैं। इनमें सबसे बड़े टापू का नाम ‘बाबा का भागड़ा’ एवं दूसरे बड़े का नाम ‘प्यारी’ है। ‘बाबा का भागड़ा’ पर ‘आइलैण्ड रिसोर्ट’ नामक होटल स्थित है।
- 1950 ई. में जयसमन्द झील से श्यामपुरा एवं भाट नहरें निकाली गई।
- जयसमन्द के निकट एक पहाड़ी पर ‘चित्रित हवामहल’ एवं ‘रूठी रानी का महल’ स्थित है, जहाँ पर उदयपुर रियासत की शीतकालीन राजधानी होती थी।
राजसमन्द झील (राजसमन्द)
- यह राज्य की एकमात्र ऐसी झील है जिस पर किसी जिले का नामकरण हुआ है।
- राजसमन्द झील का निर्माण उदयपुर के महाराणा राजसिंह द्वारा 1662 ई. में छोटी गोमती नदी पर बाँध बनवाकर किया गया। यह झील राजसमन्द जिले में काँकरोली रेलवे स्टेशन के निकट स्थित है।
- झील का उत्तरी भाग नौ चौकी’ कहलाता है जहाँ पर सफेद संगमरमर के 25 विशाल शिलालेखों पर लिखी गई राजप्रशस्ति’ में मेवात साम्राज्य की स्थापना से लेकर राजसिंह तक का इतिहास संस्कृत भाषा में लिखा गया है। राजप्रशस्ति महाकाव्य’ की रचना महाराणा राजसिंह के दरबारी कवि रणछोड़ भट्ट ने की थी।
- राजसमन्द झील के किनारे ‘घेवर माता का मंदिर स्थित है।
पिछोला झील (उदयपुर)
- चौदहवीं शताब्दी में राणा लाखा (मेवाड़) के शासनकाल में एक बंजारे द्वारा पिछोली गाँव के निकट इसका निर्माण करवाया गया था। महाराणा उदयसिंह ने इसकी मरम्मत करवाई।
- वर्तमान में यह मनोरम झील उदयपुर नगर के पश्चिम में लगभग 7 किमी. की लम्बाई में फैली है। सीसारमा व बुझड़ा नदियाँ इस झील को जलापूर्ति करती हैं।
- झील में स्थित दो टापुओं पर ‘जगनिवास’ एवं ‘जगमंदिर महल बने हए हैं। यहाँ लेक पैलेस होटल है।
- महाराणा कर्णसिंह के समय जगमंदिर महल में शहजादा खुर्रम (शाहजहाँ) ने अपने पिता जहाँगीर से विद्रोह के समय शरण ली थी।
- जगमंदिर महल में ही 1857 ई. में राष्ट्रीय आन्दोलन के दौरान महाराणा स्वरूप सिंह ने नीमच की छावनी से भागकर आए 40 अंग्रेजों को शरण देकर क्रांतिकारियों से बचाया था।
- जगनिवास महल (लैक पैलेस) विश्व के सुंदरतम महलों में से एक माना जाता है। इस महल का निर्माण महाराणा जगतसिंह ने 1746 ई. में करवाया था।
- पिछोला झील के किनारे चामुण्डा माता का मंदिर स्थित है जहाँ देवी के पद-चिह्नों (पगल्या) की पूजा की जाती है।
- पिछोला के किनारे ‘उदयपुर का राजमहल’ (City Palace) बना हुआ है।
फतेह सागर झील (उदयपुर)
- उदयपुर नगर के उत्तर में स्थित यह झील एक नहर (स्वरूप सागर) द्वारा पिछोला से जुड़ी हुई है।
- फतेह सागर का निर्माण महाराणा जयसिंह ने 1687 ई. में करवाया था, बाद में महाराणा फतेह सिंह ने 1900 ई. में इसका जीर्णोद्धार करवाया।
- इसकी नींव का पत्थर ड्यक ऑफ कनॉट द्वारा रखे जान क कारण इसे ‘कनॉट बाँध’ भी कहते हैं।
- फतेहसागर झील के किनारे मोती मगरी में महाराणा प्रताप की अश्वारूढ़ धातु प्रतिमा (प्रताप स्मारक) लगी हुई है। निकट ही ‘सहेलियों की बाड़ी’ नामक सुंदर बगीचा स्थित है जिसका निर्माण महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय द्वारा तथा पुनर्निर्माण महाराणा फतेहसिंह द्वारा करवाया गया था।
- फतेहसागर झील में एक टापू पर ‘नेहरू पार्क’ तथा दूसरे पर ‘सौर वेधशाला’ स्थित है।
पुष्कर झील (अजमेर)
- अजमेर से 11 किमी. की दूरी पर उत्तर-पश्चिम में अजमेरनागौर मार्ग (राष्ट्रीय राजमार्ग-89) पर भारत में सबसे पवित्र मानी जाने वाली पुष्कर झील स्थित है।
- झील के किनारे कुल 52 घाट बने हुए हैं जिसमें सबसे बड़ा महात्मा गाँधी घाट (गौघाट) है, ब्रह्मघाट एवं वराहघाट भी महत्त्वपूर्ण है। इन घाटों का निर्माण 944 ई. में मण्डोर के शासक नाहरराव परिहार ने करवाया था। गौघाट का पुनर्निर्माण मराठा सरदारों ने 1809 ई. में करवाया। कहा जाता है कि गौघाट पर सिक्खों के दसवें गुरु गोविन्दसिंह ने 1705 ई. में गुरु ग्रन्थ साहिब का पाठ किया था।
- वर्ष 1911 ई. में इंग्लैण्ड की महारानी मेरी की यात्रा की याद में पष्कर के किनारे ‘क्वीन मेरी जनाना घाट’ बनवाया गया। पद्म पुराण के अनुसार पुष्कर सरोवर का निर्माण प्रजापिता ब्रह्मा नारा करवाया गया था।
नक्की झील (सिरोही)
- राजस्थान में सर्वाधिक ऊँचाई (1300 मी.) पर स्थित नक्की झील सिरोही जिले में आब पर्वत पर स्थित है।
- भूगोलवेत्ताओं के अनुसार यह एक ‘ज्वालामुखी क्रेटर झील’ है।
- एक किंवदन्ती के अनुसार देवताओं ने अपने नाखूनों से इस झील को खोदा था। इसी कारण इसका नाम ‘नक्की झील’ पड़ा।
- झील के किनारे रघुनाथ जी का मंदिर, टॉड रॉक, नन रॉक, पैरेंट रॉक, राम झरोखा गुफा, हाथी गुफा एवं चम्पा गुफा स्थित हैं।
आनासागर झील (अजमेर)
- अजमेर के निकट नागपहाड़ की तलहटी में पृथ्वीराज चौहान के पितामह आनाजी ने इस झील का निर्माण 1137 ई. में करवाया था। इसके निकट एक पहाड़ी पर बजरंग गढ़ (हनुमान मंदिर) स्थित है। इसके किनारे बारादरी का निर्माण शाहजहाँ ने 1637 ई. में करवाया था तथा दौलतबाग, जो कि अब सुभाष उद्यान के नाम से जाना जाता है, का निर्माण मुगल बादशाह जहाँगीर ने करवाया।
फॉय सागर (अजमेर)
- अजमेर के निकट ही वर्ष 1891-92 में अकाल राहत कार्यों के दौरान एक अंग्रेज अभियन्ता श्री फॉय ने बांडी नदी पर बाँध नाकर फॉयसागर झील का निर्माण करवाया, जो वर्तमान में एक परत पिकनिक स्थल है। अधिक भरने पर इसका पानी आनासागर झील में जाता है।
सिलीसेढ़ झील (अलवर)
- अलवर से 13 किमी. दूर चारों ओर से अरावली पर्वतमालाओं से घिरी सिलीसेढ़ झील लगभग 10 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैली है।
- इस झील के किनारे 1845 ई. में अलवर के महाराजा विनयसिंह ने अपनी रानी शीला के लिए एक शाही शिकारगाह (लॉज) एवं छह मंजिला सुंदर महल बनवाया। इस महल में अब होटल लैक पैलेस’ (R.T.D.C.) संचालित किया जा रहा है।
कोलायत झील (बीकानेर)
- बीकानेर से 50 किमी. दक्षिण में बीकानेर-जैसलमेर मार्ग (राष्ट्रीय राजमार्ग-15) पर कोलायत कस्बे के निकट कपिल मुनि की तपोस्थली कोलायत झील’ स्थित है। कपिल मुनि सांख्य दर्शन के प्रणेता थे।
- यहाँ पर प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मेले का आयोजन होता है। इस मेले में ‘दीपदान’ का विशेष महत्त्व है।
राजस्थान में खारे पानी की अन्य प्रमुख झीलें
- नवल सागर / नवलखा झील ( बूँदी )
- बालसमन्द झील ( जोधपुर )
- कायलाना झील ( जोधपुर )
- उदयसागर झील ( उदयपुर )
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