नशीले पदार्थ (Toxic Substance in Hindi)
नशीले पदार्थ (Toxic Substance in Hindi)
Nashile Padarth in Hindi
- आनंद का भ्रम उत्पन्न करने की दृष्टि से कई लोग विभिन्न प्रकार के नशीले पदार्थ का उपयोग करते है धीरे-धीरे उन्हें इन पदार्थो की आदत पड़ जाती है और वे अधिक नशीले पदार्थो का उपयोग करने लगते है। प्रत्येक नशीला पदार्थ मानव शरीर पर कुप्रभाव डालता है तथा उसे स्थाई रुप से रोगी बना देता है समाज में प्रचलित कुछ नशीले पदार्थ व उनके कुप्रभावों का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है-
नशीले पदार्थ के नाम – Nashile Padarth Ke Naam
1 गुटखा (Gutkha )
सुपारी के टुकड़ो, कत्था, चूना, संश्लेषित खुशबु, धातुओं के वर्क आदि पदार्थो के मिश्रण से गुटखा तैयार किया जाता है कुछ में तम्बाकू भी डाला जाता है । पाउच संस्कृति के प्रसार के कारण गुटका हर गाँव-गली तक उपलब्ध है। महिलाएँ और बच्चे भी इसका प्रयोग खुलकर करने लगे है । गुटके के प्रयोग से आर्थिक हानि के साथ शारीरिक नुकसान भी होता है । जबड़े की माँसपेशियाँ कठोर हो जाने से जबड़ा ठीक से खुलता नहीं है, ऐसा सबम्युकस फाईब्रोसिस रोग के कारण होता है, संश्लेषित पदार्थों में से कई कैंसरजन होने की भी संभावना होती है।
2 तम्बाकू (Tobacco)
- तम्बाकू पादप निकोटिएना टोबेक्कम, कूल सोलेनेसी की पत्तियों से प्राप्त किया जाता है । पत्तियों में 1-8 प्रतिशत तक निकोटिन नामक एल्केलॉयड पाया जाता है, तम्बाकू का प्रयोग कई प्रकार से किया जाता है। अधिकांश लोग पान, गुटके या चूने के साथ इसे चबाते है, कुछ लोग इसके पाउडर को सूँघने या मंजन की तरह दाँतों व मसूड़ों पर मलने मे करते हैं। तम्बाकू को बीड़ी, सिगरेट, चिलम, सिगार, हुक्का या अन्य रूप से उपयोग किया जाता है ।
तम्बाकू के उपयोग से होने वाली हानिया निम्न है-
- तम्बाकु के निरंतर संपर्क में आने से मुँह, जीभ, गले व फेफड़ो आदि का कैंसर होने की सम्भावना बढ़ जाती है ।
- तम्बाकू में उपस्थित निकोटिन धमनियों की दीवारों को मोटा कर देती है जिससे रक्त दाब व हृदय स्पदंन की दर बढ़ जाती है।
- गर्भवती महिलाओं द्वारा तम्बाकू का सेवन करने पर भ्रूण विकास की गति मंद पड़ जाती है ।
- सिगरेट के धुएँ मे उपस्थित कार्बन मोनो ऑक्साइड लाल रुधिर कणिकओं को नष्ट कर रुधिर की ऑक्सीजन परिवहन की क्षमता कम कर देती है।
- सिगरेट, बीड़ी आदि के दुष्प्रभाव उसका सेवन करने वाले के साथ पास में बैठने वाले पर भी पड़ते है क्योकि वातावरण में फैला निकोटिन युक्त धुँआ हवा के साथ उनके फेफड़ो में भी पहुँचता है।
यही कारण है की कानून बनाकर सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर रोक लगा दी गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार विश्व में प्रतिवर्ष 60 लाख से ज्यादा लोग तम्बाकू का उपयोग करने के कारण असामयिक मौत का शिकार हो जाते है इनमें से लगभग 50 लाख तम्बाकू के प्रत्यक्ष सेवन से तथा 10 लाख की मृत्यु अप्रत्यक्ष सेवन से होती है।
3 मदिरा (Alcohol)
- मदिरा कई प्रकार से बनायी जाती है मगर सभी में नशे का कारण एक ही पदार्थ ऐथिल एल्कोहॉल (C, H, OH) होता है। विभिन्न प्रकार की मदिराओं में इसका प्रतिशत भिन्न होता है। मदिरा सेवन की प्रवृति निरंतर बढ़ रही है और इसके दुष्प्रभाव सामनें आ रहे है ।
मदिरा सेवन से मानव स्वास्थ्य पर होने वाले कुप्रभाव निम्न है-
- मदिरा पान से एल्कोहॉल रक्त प्रवाह द्वारा यकृत पहुँचता है अधिक मात्रा में उपस्थित एल्कोहॉल को यकृत, एसीटल्डिहाइड में बदल देता है जो विषैला पदार्थ है ।
- एल्कोहॉल के प्रभाव से व्यक्ति के शरीर का सांमजस्य एवं नियत्रंण कमजोर हो जाता है जिससे कार्य क्षमता क्षीण होती है, दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती हैं।
- एल्कोहॉल से स्मरण क्षमता मे कमी आती है तथा तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है ।
- इसके प्रभाव से वसीय यकृत रोग हो जाता है, जिससे प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट संश्लेषण पर प्रभाव पड़ता है।
- इससे व्यक्ति की आर्थिक स्थिति कमजोर होती है, तथा सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचती है ।
4. अफीम (Opium)
- अफीम पादप, पैपेवर सोमनिफेरम के कच्चे फल से प्राप्त दूध के सुखाने से बनता है। दूध में लगभग 30 प्रकार के एल्केलॉयड पाए जाते है, इनमें से मार्फीन, कोडिन, निकोटिन, सोमनिफेरिन, पैपेवरिन प्रमुख है। मार्फीन व कोडिन का प्रयोग दर्द निवारक दवा बनाने हेतु किया जाता है इस कारण इसकी खेती की जाती है। शांति व आनंद की अनुभूति प्राप्त करने के लिए अफीम या उससे बने नशीले पदार्थ हेरोइन का उपयोग कई लोगो द्वारा किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में गम या खुशी के अवसरों पर अफीम की मनुहार करने की प्रथा आज भी है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में कई माताएँ अपने छोटे बच्चों को सुलानें के लिए अफीम खिलाती है। कोई भी कारण हो अफीम का सेवन व्यक्ति को उसका आदी बना देता है। प्रारंभ में कम मात्रा ली जाती है परन्तु धीरे-धीरे मात्रा को बढानें में मजबूर हो जाते है । अफीम के डोडे (फल भिति) उबाल कर पीने की लत भी बहुत लोगों में होती है । प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाने से व्यक्ति बार-बार बीमार रहने लगता है। अंत में असामयिक मृत्यु हो जाती है। डॉक्टर या स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद से इससे छुटकारा पाया जा सकता है।
5 अन्य नशीले पदार्थ
- कोकीन, भाँग, चरस, गांजा, हशीश, एलएसडी (लायसर्जिक एसिड डाई इथाइल एमाइड) आदि अन्य पदार्थ भी मादक पदार्थो के रुप में प्रचलन में है । युवा इनका प्रयोग विभिन्न कारणों से कर बैठते है या चुंगल में फँस जाते है । इनके प्रयोग के दुष्प्रभाव परिवार से विच्छेदन, अपराध प्रवृति की वृध्दि, शारीरिक एवं मानसिक कमजोरी के रुप में सामने आते है ।
6. दवाओं का दुरुपयोग
- दक्षिण एशिया में मादक पदार्थो की माँग के विषय में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत में नशा करने वालों में 42 प्रतिशत शराब, 20 प्रतिशत अफीम, 30 प्रतिशत हेराइन, 6 प्रतिशत गांजा तथा 18 प्रतिशत से अधिक लोग अन्य प्रकार के नशों के आदि हैं। रिपोर्ट के अनुसार डॉक्टर के पर्चे पर मिलने वाली दवाओं जैसे मार्फीन, पेथेडीन, ब्युप्रीनोर्फिन, प्रोपोक्सिफिन, नाइट्राजिपाम, डाईजिपाम का दुरुपयोग नशे के लिए बढा है। स्मैक का प्रयोग भी बढा है। पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उतरप्रदेश और गुजरात में अफीम का पारम्परिक सेवन जारी है वहीं पूर्वोतर राज्यों में हेरोइन का इंजेक्शन लेने का चलन अधिक है।
- बच्चें नशे के लिए थिनर (एसीटोन), पेट्रोल, साल्वेंट, आयल आदि गैर परम्परागत पदार्थो का प्रयोग करते हैं । सडको पर पलते बच्चे नशीली दवाओं एवं शराब की लत के आसानी से शिकार हो जाते है, वे जूता चिपकाने का गोंद, करेक्शन फ्लूइड, स्प्रेपेंट, नेलपॉलिश, रबर सीमेंट, सूखे इरेजर, मारकर्स और गेसोलीन में मौजूद पदार्थो को सांस के साथ अपने शरीर में लेते है। नशे में जिन्दगी की सच्चाई तथा भूख से बेखबर होने का प्रयास करने से बच्चे डरावने सपने, फेफड़ों में सूजन, गुर्दो की खराबी और कभी ठीक नहीं होने वाली मानसिक क्षति जैसी शारीरिक एवं मानसिक समस्याएँ मोल ले लेते है ।
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